“कोई किसी की बैसाखी नहीं बन सकता। राम-राम दुआ-सलाम तक आदमी जिन्दगी में साथ दे दें, उतना ही उसके वश में है और दूसरे के लिए भी उतना ही काफी है।”

− Ram Kumar Bhramar −

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